नागपंचमी / Nagpanchmi

     प्रतिवर्ष श्रावण के शुक्ल पक्ष के पंचमी को नागपंचमी बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। मंदिरों में नाग देवता के नाम से दूध चढ़ाया जाता है और कहीं - कहीं तो साँपों को दूध पिलाते हुए भी देखा गया है।
   मुझे याद है , जब हम छोटे थे अर्थात किशोरावस्था की बात कर रही हूँ । उस समय गाँव के बरगद के पेड़ों पर झूले पड़े होते थे, वह भी इतना बड़ा होता था कि एक साथ दस लोग आसानी से झूल सकें । गाँव की स्त्रियाँ काम खत्म कर के और बन संवर कर अपनी सखियों के साथ झूला झूलती थीं और कजरी का गीत गाती थीं। हम लोग तो पकवान का आनंद लेते थे और भरपेट खाकर जब झूलते तो पेट से सब बाहर आ जाता और चक्कर पर चक्कर आना अलग पर वह दिन और आज के दिन में बहुत बदलाव आ गया है। मुझे याद आ रहा है कि सब लड़कियाँ कोशिश करती कि उनका कपड़ा - चूड़ी हरे रंग का हो क्योंकि नागपंचमी का अर्थ हरा रंग धारण करना होता था | 
   एक बात और पता नहीं आज भी यह परम्परा है कि नहीं --
समान्यतः सभी के घरों में बहुओं को उनके मायके से गहने - कपड़े आते थें , जिसे पहन कर वे इठलाते हुए झूले पर झूला करती थीं और हम लोग उनके कपड़े देख खुश हो जाया 
करते और अंदाज़ लगाते कि किसका मायका कैसा है ? पर नागपंचमी के त्योहार का जो सुख हम लोगों ने उठाया वह 
आज के बच्चों ने देखा भी नहीं है । मेरे स्वयं के बच्चे इन चीज़ों से अनभिज्ञ हैं ।
  आज मैं अपनी यादों को आप से share की आशा करती हूँ कि आप को अच्छा लगा होगा ।
   सबको नगपंचमी की ढेर सारी शुभकामनाएँ  .....

Comments

Popular posts from this blog

UMIAM lake, SHILLONG, Meghalaya/ उमियम झील, सिलांग

Sunset beauty🌞/ सूर्यास्त की सुंदरता

Annual PICNIC // वार्षिक पिकनिक