आजादी का ७५वाँ स्वतंत्रता दिवस

    lसाल के अगस्त महीने में ही हम भारतीयों को गुलामी से मुक्ति मिली थी अंग्रेजों की परतंत्रता से और यह माह आते ही तन - मन अपनी आजादी के अहसास से भर उठता है कि हम आजाद देश में साँस ले रहे हैं जो लगभग २५० वर्षों तक पराधीन रहा था। काफ़ी संघर्षों के पश्चात् ही देश को आज़ादी नसीब हुई थी हमें क्रांतिकारियों और देशप्रेमियों के बलिदानों के बाद यह सुख नसीब हुआ है पर शायद आजाद देश की नई पीढ़ी को इस की अहमियत नहीं पता है | देश का सम्मान , देश का गौरव और देश की रक्षा कैसे की जाती है पता ही नहीं है । देश का इतिहास को बच्चे उत्तीर्ण होने के लिए पढ़ तो लेते हैं पर उस विषय से हमें क्या सीख मिलती है उन्हें पता ही नहीं रहता है । राष्ट्रगान को ही ले लीजिए , यह हमारे देश के सम्मान का प्रतीक है पर  लोगों को आज भी पछत्तर वर्षों के बाद भी हर विधि से सीखाना और समझाना पड़ता है ।
         ऐसा लगता है शायद उनकी सोच यह कहती हो कि बीती बातों को भूल कर आनेवाले कल पर फोकस डालना ही समझदारी है पर उन्हें यह कौन समझाए कि बीता हुआ कल आज से जुड़ा हुआ होता है । यही तो विडम्बना है।

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